July 13, 2015
Journalism
आनंद प्रधान। भारतीय न्यूज मीडिया खासकर न्यूज चैनल एक बार फिर गलत कारणों से अंतर्राष्ट्रीय सुर्ख़ियों में हैं। 25 अप्रैल को नेपाल में आए जबरदस्त भूकंप के बाद वहां कवरेज करने पहुंचे भारतीय न्यूज मीडिया खासकर न्यूज चैनलों के एक बड़े हिस्से के असंवेदनशील और कई मामलों में गैर जिम्मेदाराना ...
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July 7, 2015
Journalism
गोविंद सिंह। साहित्य और पत्रकारिता के बीच एक अटूट रिश्ता रहा है। एक ज़माना वह था जब इन दोनों को एक-दूसरे का पर्याय समझा जाता था। ज्यादातर पत्रकार साहित्यकार थे और ज्यादातर साहित्यकार पत्रकार। पत्रकारिता में प्रवेश की पहली शर्त ही यह हुआ करती थी कि उसकी देहरी में कदम ...
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July 4, 2015
Journalism
सुभाष धूलिया। तथ्य, विश्लेषण और विचार समाचार लेखन का सबसे पहला सिद्धांत और आदर्श यह है कि तथ्यों से कोई छेड़छाड़ न की जाए। एक पत्रकार का दृष्टिïकोण तथ्यों से निर्धारित हो। तथ्यात्मकता, सत्यात्मकता और वस्तुपरकता में अंतर है। तथ्य अगर पूरी सच्चाई उजागर नहीं करते तो वे सत्यनिष्ठï तथ्य ...
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July 4, 2015
Communication
देवाशीष प्रसून। इंटरनेट और मोबाइल जैसे नए माध्यमों को प्रादुर्भाव और इसके इस्तेमाल में हुई बढ़ोतरी के बाद जनसंपर्क का भविष्य भी ज़्यादा से ज़्यादा तकनीकोन्नमुख हो गया है। हमेशा से ज़रूरत यह रही है कि इस माध्यम के द्वारा जनसंपर्क के लिए भेजे जाने वाले लाखों ई-मेल संदेशों में ...
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July 4, 2015
Contemporary Issues
मधुरेन्द्र सिन्हा। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्वीटर इन दिनों खूब चर्चा में है। सुपरस्टार सलमान खान को अदालत ने सजा क्या सुनाई, इस पर तो जैसे भूचाल आ गया। हजारों लोग ट्वीटर पर आकर अपने-अपने विचार व्यक्त करने लगे। इतनी बड़ी बात पर विचारों में टकराव होना स्वाभाविक है लेकिन इस ...
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July 3, 2015
Radio & TV Journalism
आलोक वर्मा। आज पूरी दुनिया में शायद एक थी ऐसी जगह ढूंढ पाना मुश्किल होगा जहां मीडिया और संचार के तमाम माध्यम अपनी पैठ न चुके हों। हम कहीं भी जाएं, किसी से भी मिल-मीडिया और संचार के माध्यम हमे अपने आस-पास नजर आ ही जाते हैं। मीडिया के कई ...
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July 2, 2015
Communication
देवेंद्र मेवाड़ी। संपादकीयः अगर आप समाचारपत्र में काम करते हैं तो संपादक आपसे विज्ञान के किसी ज्वलंत या सामाजिक मुद्दे पर तत्काल संपादकीय लिखने की अपेक्षा कर सकते हैं। संपादकीय ऐसे मुद्दे पर महत्वपूर्ण टिप्पणी है। इससे समाचारपत्र द्वारा उस वैज्ञानिक विषय या घटना को दिए गए महत्व का भी ...
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June 28, 2015
Contemporary Issues
अन्नू आनंद। पिछले करीब पांच दशकों से लड़कियों के घटते अनुपात के मसले पर कवरेज का सिलसिला जारी है। 80 के दशक में अमनियोसेंटसिस का इस्तेमाल लिंग निर्धारण के लिए शुरू हुआ तो अखबारों में इस तकनीक के दुरूपयोग संबंधी खबरें आने लगी। इससे पहले देश के कुछ विशेष हिस्सों ...
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June 28, 2015
Communication
डॉ॰ राम प्रवेश राय। जन संचार के सिद्धांतों को लेकर अक्सर ये बहस चलती रहती है कि ये पुराने सिद्धांत व्यवहार मे महत्वहीन साबित होते है और पत्रकारिता शिक्षण मे इन सिद्धांतों पर अधिक ज़ोर नहीं देना चाहिए। ऐसा ही एक सिद्धांत है बुलेट या हाइपोडर्मिक निडल थ्योरी इसको एक ...
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June 28, 2015
Contemporary Issues
भूपेन सिंह। हाल के दिनों में नेट न्यूट्रेलिटी को लेकर काफी हंगामा रहा है। नेट न्यूट्रैलिटी की मांग सड़क से लेकर संसद तक उठी है। दिल्ली, चैन्नई और बेंगलौर में नेट न्यूट्रैलिटी लागू करने के लिए प्रदर्शन हुए हैं तो संसद में भी इस मामले में सवाल-जवाब हुए हैं। मुनाफा ...
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June 28, 2015
Contemporary Issues
आशीष कुमार ‘अंशु’। भारतीय मीडिया को लेकर नेपाल से आ रही खबरों से यह जाहिर था कि मीडिया में जो कुछ आ रहा है, उसे देखकर नेपाल के लोग भारतीय मीडिया के प्रति आक्रोश में हैं। क्या नेपाल के लोगों का यह गुस्सा वास्तव में भारतीय मीडिया से था, या ...
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June 27, 2015
Contemporary Issues
डॉ. महर उद्दीन खां। पत्रकारिता के माध्यम से पाठकों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए अन्य भाषाओं के शब्दों के प्रयोग को अनुचित नहीं कहा जा सकता मगर उन का सही प्रयोग किया जाना चाहिए। देखने में आता है कि जाने अनजाने या अज्ञानता वष कई उर्दू और अंग्रेजी शब्दों ...
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