प्रियंका दुबे।… स्ट्रिंगर और स्थानीय पत्रकार मुट्ठीभर पैसों के लिए हर रोज अपनी जिंदगी दांव पर नहीं लगाते हैं, ज्यादातर खबरें सिर्फ स्व-प्रेरणा और बदलाव के लिए पैशन की वजह से की जाती हैं। तो फिर तमाम खतरों और कम तनख्वाह के बावजूद पत्रकारिता का बोझ हर रोज अपने कंधों ...
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