Prof. Devesh Kishore Makhanlal Chaturvedi University of journalism, Bhopal, Research Department, Emeritus “If we knew what it was we were doing, it would not be called research, would it?” – Albert Einstein LEARNING OBJECTIVES After having studied this chapter you should be able to : Define research and explain its ...
Read More »संचार के दायरे को तोड़ता सोशल मीडिया
विनीत उत्पल | सोशल मीडिया एक तरह से दुनिया के विभिन्न कोनों में बैठे उन लोगों से संवाद है जिनके पास इंटरनेट की सुविधा है। इसके जरिए ऐसा औजार पूरी दुनिया के लोगों के हाथ लगा है, जिसके जरिए वे न सिर्फ अपनी बातों को दुनिया के सामने रखते हैं, ...
Read More »संचार के दायरे को तोड़ता सोशल मीडिया
विनीत उत्पल। सोशल मीडिया एक तरह से दुनिया के विभिन्न कोनों में बैठे उन लोगों से संवाद है जिनके पास इंटरनेट की सुविधा है। इसके जरिए ऐसा औजार पूरी दुनिया के लोगों के हाथ लगा है, जिसके जरिए वे न सिर्फ अपनी बातों को दुनिया के सामने रखते हैं, बल्कि ...
Read More »भूमण्डलीकरण और सम्प्रेषण का संकट
सच्चिदानन्द सिन्हा। त्रासदी के विवरणों के टीवी पर प्रसारण के तुरन्त बाद किसी सौन्दर्य प्रसाधन का विज्ञापन या ऐसी ही दूसरी प्रस्तुतियाँ मनुष्य के लिए त्रासद और आकर्षक जैसी अनुभूतियों का फर्क मिटा देती हैं। मनुष्य संवदेनहीन बन जाता है। लेखक कलाकार आदि की जवाबदेही ऐसे समय में कुछ बुनियादी ...
Read More »वास्तविक खतरे के आभासी औजार
अभिषेक श्रीवास्तव। ”मेरे ख्याल से हमारे लिए ट्विटर की कामयाबी इसमें है, जब लोग इसके बारे में बात करना बन्द कर दें, जब हम ऐसी परिचर्चाएं करना बन्द करें और लोग इसका इस्तेमाल सिर्फ एक उपयोगितावादी औजार के रूप में करने लगें, जैसे वे बिजली का उपयोग करते हैं। जब ...
Read More »संचार की बुलेट थ्योरी : अतीत एवं वर्तमान का पुनरावलोकन
डॉ॰ राम प्रवेश राय। जन संचार के सिद्धांतों को लेकर अक्सर ये बहस चलती रहती है कि ये पुराने सिद्धांत व्यवहार मे महत्वहीन साबित होते है और पत्रकारिता शिक्षण मे इन सिद्धांतों पर अधिक ज़ोर नहीं देना चाहिए। ऐसा ही एक सिद्धांत है बुलेट या हाइपोडर्मिक निडल थ्योरी इसको एक ...
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