शैलेश और डॉ. ब्रजमोहन | पत्रकारिता में टीवी रिपोर्टिंग आज सबसे तेज, लेकिन कठिन और चुनौती भरा काम है। अखबार या संचार के दूसरे माध्यमों की तरह टीवी रिपोर्टिंग आसान नहीं। टेलीविजन के रिपोर्टर को अपनी एक रिपोर्ट फाइल करने के लिए लम्बी मशक्कत करनी पड़ती है। रिपोर्टिंग के लिए ...
Read More »विजुअल मीडिया: गुणवत्ता से समझौता कभी न करें
मनोरंजन भारती | मैनें उन गिने चुने लोगों में से जिसने अपने कैरियर की शुरूआत टीवी से की। हां, आईआईएससी में पढ़ने के दौरान कई अखबारों के लिए फ्री लांसिंग जरूर की। लेकिन संस्थान से निकलते ही विनोद दुआ के परख कार्यक्रम में नौकरी मिल गई। यह कार्यक्रम दूरदर्शन पर ...
Read More »हर ख़बर सच नहीं, हर सच ख़बर नहीं
सुभाष धूलिया| आज यह कहा जाता है कि मानव सभ्यता सूचना युग में प्रवेश कर रही है। पिछले 50 वर्षों में संचार और सूचना के क्षेत्र में एक क्रांति आई है। आज दुनिया के किसी भी कोने में होने वाली किसी घटना की जानकारी हमे चंद पलों में मिल जाती ...
Read More »चुनाव-सर्वेक्षणों की होड़ में पिचकती पत्रकारिता
उर्मिलेश | राजनीतिक दलों या नेताओं के जीतने-हारने या उनकी सीटों के पूर्वानुमान लगाने वाले ओपिनियन-पोल राजनीति और राजनेताओं के लिए कितने फायदेमंद या नुकसानदेह हैं, इस पर विवाद हो सकता है। लेकिन एक पत्रकार के रूप में मैं अपने अनुभव की रोशनी में बेहिचक कह सकता हूं कि चुनाव-अधिसूचना ...
Read More »कैसे नाम पड़ा ‘आज तक’?
क़मर वहीद नक़वी | ‘आज तक’ का नाम कैसे पड़ा ‘आज तक?’ बड़ी दिलचस्प कहानी है. बात मई 1995 की है. उन दिनों मैं ‘नवभारत टाइम्स,’ जयपुर का उप-स्थानीय सम्पादक था. पदनाम ज़रूर उप-स्थानीय सम्पादक था, लेकिन 1993 के आख़िर से मैं सम्पादक के तौर पर ही अख़बार का काम ...
Read More »सावधान रहिए साइबर हमलावरों से
मुकुल श्रीवास्तव | कैस्परस्की की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार ग्रैबिट नामके एक वाइरस अटैक ने छोटी और मझोली व्यवसायिक कंपनियों के दस हजार से ज्यादा फाइलें चुरा लीं इनमें से ज्यादातर कम्पनियाँ थाईलेंड ,भारत और अमेरिका में स्थित हैं जो केमिकल ,नैनो टेक्नोलोजी ,शिक्षा ,कृषि ,मीडिया और निर्माण के ...
Read More »सुदृढ़ हिंदी के साथ जरूरी है अच्छा इंग्लिश ज्ञान
मुकुल व्यास | एक जमाना था जब हिंदी के अखबारों को प्रमुख ख़बरों के लिए इंग्लिश संवाद एजेंसियों पर निर्भर रहना पड़ता था। शुरू-शुरू में अस्तित्व में आईं हिंदी संवाद एजेंसिया खबरों की विविधता और विस्तृतता के मामले में इंग्लिश संवाद एजेंसियों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाती थीं। धीरे-धीरे स्थितियां ...
Read More »फोटोग्राफी में ऐपर्चर की भूमिका
अमित कुमार & पूनम गौड़ | ऐपर्चर लेंस में स्थित वह दरवाजा / छिद्र है जिससे होकर प्रकाश की किरणें कैमरे के अन्दर प्रवेश करती हैं. इस दरवाजे / छिद्र के आकार को फोटोग्राफर अपनी आवश्यकता के अनुसार परिवर्तित कर सकता है. ऐपर्चर फोटोग्राफी में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ...
Read More »फ्रेंच न्यू वेव सिनेमा के सामाजिक-राजनीतिक आधार
भूपेन सिंह। फ्रांस सिनेमा की जन्म भूमि रही है। अठारह सौ पिचानबे में लुमिये बंधुओं ने पेरिस के एक कैफे में पहली बार फिल्म दिखाकर एक नया इतिहास बनाया था। उसके बाद ये कला पूरी दुनिया में फैल गई। सिनेमा के क़रीब सवा सौ साल के इतिहास में अनगिनत प्रयोग ...
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